How to Get Good Marks in English
कैसे लाएं अंग्रेजी में ज्यादा अंक
परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के उपाय | परीक्षा में अच्छे अंक कैसे प्राप्त करें
कैसे लाएं अंग्रेजी में ज्यादा अंक
'इंसोरीयल वर्ड्स' होते हैं और व्यापक उपयोग के तथा इफेक्टिव वोकेबुलेरी के होते हैं और जिनकी (Spellings) वर्तनी विशिष्ट हो यथा hygiene, remedy, competition, anaesthetics, behaviar, discipline, separate इत्यादि शब्द दो किश्तों में प्रत्येक माह की दिनांक 7 तक निश्चित रूप से लिखा दिए जाते हैं।
कक्षा में ये शब्द चार्ट पर भी टंगे रहते हैं "Words For the Month...." लगभग 25 ता. को एक रिहर्सल टेस्ट होता है और माह के अन्तिम दिन फाइनल टेस्ट एक पृथक पन्ने पर लिया जाता है, 30 शब्द लिखाकर और इसकी जाँच भी कक्षा में ही कराई जाती है। प्रथम पंक्ति के छात्रों के पन्ने अन्तिम वालों को, इस प्रकार पन्ने अदल-बदल करके कक्षा में ही जाँच करा ली जाती है, बोर्ड पर सही शब्द लिखकर। सभी का स्कोरिंग होता है और इन टेस्टों के स्कोर का अभिलेख भी रखा जाता है। हर तीसरे महीने प्रतियोगिता-परख होती है जिसमें कुछ पुरस्कार की व्यवस्था भी होती है। फरवरी माह में लगभग 800 शब्दों में से 60 शब्द लिखाकर फाइनल जाँच होती है जिसकी परीक्षा और जाँच पूरी गंभीरता से की जाती है। इस प्रोजेक्ट का सीधा प्रभाव शुद्ध लेखन एवं उपयुक्त शब्द ज्ञान पर पड़ता है।
1. लिखित कार्य की जाँच
गृह कार्य इतना ही दिया जाता है जिसे छात्र बिना विशेष भार के कर सकें और जिसकी उचित जाँच की जा सके। इसका यह भी अर्थ नहीं है कि कार्य बहुत ही कम दिया जाए। निबन्ध, पत्र लेखन इत्यादि के अतिरिक्त शेष सभी कार्य एक साथ, सभी का बोर्ड पर उत्तर लिखकर संशोधन करा दिया जाता है। ग्रामर के अभ्यास प्रश्न भी कक्षा में ही सबसे ठीक करा दिए जाते हैं फिर हस्ताक्षर करते वक्त सरसरी निगाह से और देख लिया जाता है। दूसरा लिखित कार्य देने से पूर्व पहले दिया गया कार्य निश्चित रूप से जाँच लिया जाता है ताकि गलतियाँ 'कैरीड ओवर' न हों।
2. अनुवर्ती कार्य
लिखित कार्य का यह अत्यन्त ही महत्त्वपूर्ण चरण है। जो अशुद्धियाँ पहले आई हैं उन्हें सही करना, गलत वर्तनी वाले शब्दों को सही रूप में दस बार लिखना होता है। यह भी देखा जाता है कि छात्र उन्हीं अशुद्धियों को पुनः तो नहीं कर रहे हैं। जाँचना केवल जाँचने के लिए ही नहीं लिखाने के लिए भी किया जाता है।
3. पाठ्यपुस्तक के प्रश्नों का अभ्यास
छात्रों से परीक्षा में पाठ्यपुस्तक के प्रश्न भी पूछे जाते हैं अतः इनका भी अच्छा अभ्यास कराया जाता है। एक प्रश्न बैंक भी बनाकर दे दिया जाता है और सभी छात्रों को उनके उत्तर याद करने का अभ्यास कराया जाता है। ये प्रश्न 50 अंकों के प्रश्न-पत्र में लगभग 18 अंक भार के होते हैं। अतः इनकी तैयारी को महत्त्व देना ही होता है।
4. सप्लीमेन्टरी रीडर्स
सरल अंग्रेजी में लिखी गई कहानियों की पुस्तकें यथा 'द बॅगर किंग', 'गुलिवर्स ट्रेवल्स', 'रोबिन्सन क्रूसो' 'द फेयरी टेल्स', अराउंड द वर्ल्ड इन एटी डेज' इत्यादि तथा चिल्ड्रन्स बुक ट्रस्ट और नेशनल बुक ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित कम से कम 10 पुस्तकें प्रत्येक छात्र को दिसम्बर तक पढ़नी होती है। इस सबका अभिलेख भी रखा जाता है। प्रत्येक छात्र को पुस्तक की पढ़ी गई कहानी बहुत संक्षेप में अपनी भाषा अंग्रेजी में लिखनी होती है, जिसे जाँचा और सुधारा भी जाता है। सीखे गए शब्दों को नोट बुक में अर्थ सहित लिखा जाता है। पुस्तकालय से लगभग 50 पुस्तकें एक बार में ही निकलवा ली जाती हैं और फिर छात्रों में परस्पर आदान-प्रदान चलता रहता है। कुछ छात्र तो 10 से ज्यादा लगभग 15-16 पुस्तकें भी पढ़ डालते हैं और कुछ ऐसे भी होते हैं जो 10 भी मुश्किल से पूरी कर पाते हैं। दोनों की उपलब्धियों का अन्तर भी स्वाभाविक है।
5. ग्रुप कम्पोजीशन
यह संभव नहीं है कि निबन्ध अथवा पत्र लेखन सभी का जाँचा जा सके, इसलिए कक्षा में केवल 5 या 7 ग्रुप बना दिए जाते हैं। ग्रुप ही मिल बैठकर अपना निबन्ध पूरा करता है। अध्यापक उसे जाँचते हैं और फिर ग्रुप के सभी छात्र इसे अपनी नोट बुक में उतार लेते हैं। यह कोशिश की जाती है कि ग्रप लीडर सभी सदस्यों को पूरा सहयोग दें।
6. पाक्षिक परख
वैसे सामान्य जाँच तो शिक्षण के साथ-साथ भी प्रायः चलती रहती है। पाक्षिक परख उस अवधि में पढ़ाई गई सामग्री का होता है। स्कोरिंग और अभिलेख आवश्यक है। इससे छात्र की स्थिति एवं गति का पता चलता है, स्वयं छात्र को, अध्यापक को और दिखाने पर अभिभावक को भी। इस कार्यक्रम से सामान्यतः सभी छात्रों में सतत् सजगता एवं अध्ययनशीलता बनी रहती है। हर बार उच्चतम अंक प्राप्तकर्ता को विशेष प्रोत्साहित किया जाता है और विकासमान को भी उत्प्रेरित किया जाता है तथा निम्न स्तर वालों को भी प्रेरित किया जाता है। हतोत्साहित तो किसी को भी नहीं करना चाहिए। टेस्ट पेपर की व्यवस्था साइक्लोस्टाइल के अभाव में रॉल-अप बोर्ड से भी कर ली जाती है।
7. डिक्शनरी प्रतियोगिता
वर्ष में लगभग चार बार डिक्शनरी से शब्द का अर्थ ढूँढ़ने की प्रतियोगिता होती है। इसमें प्रतियोगिता विभिन्न समान ग्रुप्स के अन्तर्गत होती है क्योंकि होशियार छात्रों से कमजोर छात्र तो कभी जीत ही नहीं पाएंगे और वे फिर इस प्रतियोगिता के प्रति उदासीन रहेंगे। अतः समान स्तर वाले छात्रों के ग्रुप बनाकर उनके बीच ही प्रतियोगिता रखी जाती है। पुरस्कार की व्यवस्था अध्यापक अपनी सूझ-बूझ से कर लेता है।
8. बाह्य मूल्यांकन
समय समय पर अन्य अध्यापक अथवा प्रधानाध्यापक इत्यादि के द्वारा वर्तनी, शब्दार्थ एवं व्याकरण संबंधी ज्ञान की जाँच कराई जाती है जो सामान्यतः मौखिक ही हुआ करती है। इस बाह्य जाँच के प्रति छात्र बड़े सचेष्ट होते हैं और अपनी उत्तम छवि प्रस्तुत करना चाहते हैं।
विद्यालय के इन परिश्रमों अनुभवों एवं कर्मठ अध्यापक जी द्वारा बताई गई सभी बातें व सुझाव मैंने नोट किए और इन्हें पाठकों तक पहुंचाने का प्रयास किया है। अब यह आप पर है कि आप इससे कितना लाभ उठाते हैं। मैंने स्वयं आजमाइश की है और स्वयं ही उत्कृष्ट परिणाम दिए है, आप भी करके तो देखिए छात्रों के उज्ज्वल भविष्य हेतु।
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